स्वामी विवेकानंद जी के 30 प्रेरणादायक विचार
Famous Swami Vivekananda quotes in Hindi
स्वामी विवेकानंद के विचार आज के इस आधुनिक युग में प्रेरणा का एक ऐसा स्त्रोत हैं जो निराशा से भरे जीवन में आशा की एक नदी बहाते हैं। उनके ओजस्वी भाषण, उनके द्वारा दिए गए प्रेरणादाई उपदेश जीवन में आगे बढ़ने के लिए और जीवन में सफलता हासिल करने में सहायता प्रदान करते हैं।
1.
उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो।
तुम एक अमर आत्मा हो,
स्वच्छंद जीव हो,
धन्य हो, सनातन हो।
तुम तत्व नहीं हो, तत्व तुम्हारा सेवक है
तुम तत्व के सेवक नहीं हो।
2.
मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं,
जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है।
हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते,
बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को
सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।
3.
यदि परिस्थितियों पर आपकी मजबूत पकड़ है तो
जहर उगलने वाला भी आपका कुछ नही बिगाड़ सकता।
4.
हर काम को तीन अवस्थाओं से गुज़रना होता है –
उपहास, विरोध और स्वीकृति।
5.
पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता ये तीनों सफलता के लिए आवश्यक है
लेकिन इन सबसे ऊपर प्यार है।
6.
अनेक देशों में भ्रमण करने के पश्चात् मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि
संगठन के बिना संसार में कोई भी
महान एवं स्थाई कार्य नहीं किया जा सकता।
7.
यह मत भूलो कि बुरे विचार और बुरे कार्य तुम्हें पतन की और ले जाते हैं ।
इसी तरह अच्छे कर्म व अच्छे विचार लाखों देवदूतों की तरह
अनंतकाल तक तुम्हारी रक्षा के लिए तत्पर हैं ।
8.
संभव की सीमा जानने का एक ही तरीका है,
असंभव से भी आगे निकल जाना।
9.
शिक्षा क्या है ? क्या वह पुस्तक-विद्या है ? नहीं।
क्या वह नाना प्रकार का ज्ञान है ? नहीं,
यह भी नहीं। जिस संयम के द्वारा इच्छाशक्ति का प्रवाह और विकास वश में लाया जाता है
और वह फलदायक होता है,
वह शिक्षा कहलाती है।
10.
हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है,
इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं।
शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं,
वे दूर तक यात्रा करते हैं।
11.
हम भगवान को खोजने कहां जा सकते हैं अगर उनको
अपने दिल और हर एक जीवित प्राणी
में नहीं देख सकते।
12.
पीड़ितों की सेवा के लिए आवश्यकता पड़ने पर हम अपने मठ की भूमि तक भी बेच देंगे।
हजारों असहाय नर नारी हमारे नेत्रों के सामने कष्ट भोगते रहें और हम मठ में रहें,
यह असम्भव है। हम सन्यासी हैं,
वृक्षों के नीचे निवास करेंगे
और भिक्षा मांगकर जीवित रह लेंगे।
13.
किसी चीज से डरो मत।
तुम अद्भुत काम करोगे।
यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में
परम आनंद लाती है।
14.
वह नास्तिक है,
जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता।
15.
जो अग्नि हमें गर्मी देती है,
हमें नष्ट भी कर सकती है।
यह अग्नि का दोष नहीं है।
16.
यही दुनिया है, यदि तुम किसी का उपकार करो,
तो लोग उसे कोई महत्व नहीं देंगे।
किन्तु ज्यों ही तुम उस कार्य को बंद कर दोगे,
वे तुरन्त तुम्हें बदमाश प्रमाणित करने में नहीं हिचकिचायेंगे।
17.
धर्म ही हमारे राष्ट्र की जीवन शक्ति है।
यह शक्ति जब तक सुरक्षित है,
तब तक विश्व की कोई भी शक्ति
हमारे राष्ट्र को नष्ट नहीं कर सकती।
18.
यह देश धर्म, दर्शन और प्रेम की जन्मभूमि है।
ये सब चीजें अभी भी भारत में विद्यमान है।
मुझे इस दुनिया की जो जानकारी है,
उसके बल पर दृढतापूर्वक कह सकता हूं कि इन बातों में
भारत अन्य देशों की अपेक्षा अब भी श्रेष्ठ है।
19.
हमे ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र का निर्माण हो,
मन की शक्ति बढ़े,
बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैर पर खड़ा हो सके।
20.
तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता,
कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता।
तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है।
आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नही है।
आपकी अपनी
आत्मा के अलावा कोई दूसरा आध्यात्मिक गुरु नहीं है।
21.
अनुभव ही आपका सर्वोत्तम शिक्षक है।
जब तक जीवन है सीखते रहो।
22.
शिक्षा का अर्थ है उस पूर्णता को व्यक्त करना जो
सब मनुष्यों में पहले से विद्यमान है।
23.
प्रेम विस्तार है, स्वार्थ संकुचन है।
इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है।
वह जो प्रेम करता है जीता है।
वह जो स्वार्थी है मर रहा है।
इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो,
क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है।
वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो।
24.
बल ही जीवन है
और दुर्बलता मृत्यु ।
25.
भय और अपूर्ण वासना ही
समस्त दुःखों का मूल है।
26.
अगर स्वाद की इंद्रिय को ढील दी,
तो सभी इन्द्रियां बेलगाम दौड़ेगी।
27.
किसी की निंदा ना करें।
अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं,
तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते,
तो अपने हाथ जोड़िये,
अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये,
और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
28.
धर्म कल्पना की चीज नहीं है,
प्रत्यक्ष दर्शन की चीज है।
जिसने एक भी महान आत्मा के दर्शन कर लिए
वह अनेक पुस्तकी पंडितों से बढ़कर है।
29.
मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं।
जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं।
30.
इच्छा का समुद्र हमेशा अतृप्त रहता है ।
उसकी माँगे ज्यों-ज्यों पूरी की जाती है,
त्यों-त्यों और गर्जन करता है।